BANDGAVGADH TIGER - सुरक्षित नहीं है बांधवगढ़ के टाइगर, टाइगर मूमेंट एरिया में खदान स्वीकृति का खेल, लोक सुनवाई के नाम पर निभाई गई औपचारिकता

PPN(KATNI) - बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बाघो की जान को भारी खतरा है, यह बात भली भांति जानने के बाद भी जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारी-कर्मचारी निजी स्वार्थवश आंख मूंदे बैठे है, और अपनी मौन स्वीकृति देकर टाइगर विचरण क्षेत्र में खदान स्वीकृति दे रहे है।

बांधवगढ़ नेशनल पार्क देश का इकलौता ऐसा नेशनल पार्क है, जहां बाघो की संख्या सबसे ज्यादा है, लेकिन यह खिताब ज्यादा दिन नही रहने वाला। इसका मूल कारण है, खदान मालिको की यहां पर पाए जाने वाले बेशकीमती खनिज पर लार टपकाने वाली नजर है। इसके लिए बकायदा उन्होंने अधिकारियों और कर्मचारियों जेब गर्म कर सरकारी रिकार्ड को तोड़ ममोड़ कर खदान स्वीकृति की कार्यवाही फाइनल स्टेज में पहुंचा दी है।

जानकारी के मुताबिक कटनी जिले बरही तहसील अंतर्गत ग्राम करौंदी कला में काली गिट्टी के लिए पत्थर भरपूर मात्रा में है, इसकी जानकारी लगने के बाद खनन माफियाओं की लार टपकने लगी, और उन्होंने खदान स्वीकृति के लिए आवेदन कर दिया है। इनमें से खदान तो स्वीकृत हो कर संचालित भी है। इसके बाद अन्य के हौंसले बुलंद है। वे भी भ्रष्ट तंत्र के जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारी-कर्मचारी को अपने पक्ष में करके खदान हथियाने में रात दिन जुटे हुए है। विगत 30 सितम्बर को श्री मनु मेहरोत्रा स्टोन क्वारी के लिए ग्राम करौंदी कला के खसरा नम्बर 209/2 में रकवा 1.35 हेक्टेयर उत्खनन क्षमता 20001 घनमीटर प्रतिवर्ष के लिए लीज स्वीकृति हेतु लोकसुनवाई चोरी छुपे आयोजित की गई। लोकसुनवाई में कोई आपत्ति दर्ज न करवा पाए, इस बात का पूरा ख्याल आवेदनकर्ता श्री मनु मेहरोत्रा फर्म द्वारा रखा गया। लोक सुनवाई के लिए जितनी भी खानापूर्ति होती है, सब कागजो में की गई, ताकि कानोकान किसी को भनक न लगे। एक माह पहले न्यूज़ पेपर में विज्ञापन का प्रकाशन करवाया गया, लेकिन परियोजना की सॉफ्ट कॉपी कलेक्ट्रेट, जिला पंचायत, जिला व्यापार एवम उद्योग केंद्र में आमजनों के अवलोकन के लिए नही रखी गई। ग्राम पंचायत कार्यालय में कॉपी तो रखी गई, लेकिन इसकी जानकारी गोपनीय रखी गई। ग्रामीणों की माने तो ग्राम में लोक सुनवाई हेतु मुनादी भी नही कराई गई। 

30 सितंबर यानी लोक सुनवाई 11.30 से 12.45 बजे तक औपचारिकता पूर्ण सम्पन्न कराई गई, जिसमे एडीएम, जिला प्रदूषण अधिकारी समेत सिर्फ वे लोग ही शामिल थे, जिनकी लोक सुनवाई की कार्यवाही में नितांत आवश्यकता रही, जिन्हें आवेदनकर्ता द्वारा पहले से मैनेज किया गया था।
इसके अलावा भीड़ बढ़ने के लिए आवेदनकर्ता के दूसरे फार्म के लोग उपस्तिथ रखा गया था। 
सूत्र बताते है लगभग सवा घण्टे की औपचारिकता निभाने के बाद समस्त अधिकारी मौके से निकल कर लगभग साढ़े तीन बजे तक बरही के रेस्ट हाउस में गप्पे हांकते रहे। अधिकारियों के मौके से निकलते ही बहुत फुर्ती में लोक सुनवाई के सारे सबूत मौके से अलग कर दिए गए।

ताकि कोई आपत्ति न दर्ज करा पाए

टाइगर के विचरण वाले क्षेत्र को दबाने के लिए सारी कार्यवाही गोपनीय तरीके से की गई, ताकि सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे। 
जानकारों की माने तो ग्राम करौंदी कला बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बफर जोन, ईको सेंसेटिव जोन, टाइगर कॉरिडोर आदि में आता है। इस गांव सहित आसपास के कई ऐसे गांव है, जहां एक-दो दिन में बाघ नजर आ ही जाता है। मवेशियों पर हमला करना तो सामान्य बात है। इस ग्राम के पूर्व पंच ललुवा की पत्नी की मौत 3 वर्ष पूर्व बाघ के हमले के कारण हुई थी।

वन विभाग की NOC भी संदेह के घेरे में

खदान स्वीकृति हेतु वन मंडल अधिकारी कटनी द्वारा जो NOC जारी की गई है, वो भी संदेह के घेरे में है। जानकारों की  NOC में सभी बिन्दुओ को 10 किमी से दूर दर्शाया गया है, जो बाय रोड है। ऐसे मामलों में दूरी बाय रोड नही बल्कि बाय एयर फ्रेक्वेन्सी से नापी जाती है। 

और भी काम है - जिला प्रदूषण अधिकारी


जिला प्रदूषण अधिकारी का कहना था कि विभाग के पास और भी काम है।

वहीं ADM साहब क्या कहते हैं वो भी सुन लीजिए 

कुल मिलाकर सरकार बाघो को बचाने के लिए अरबो रुपये पानी की तरह बहायेंगी, और उसके नुमाइंदे उन रुपयों पर पानी फेरेंगें।


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