PPN(KATNI) - माधवनगर स्तिथ नगर निगम, उप कार्यालय के बगल में हो रहे अवैध निर्माण को मंगलवार को तोड़ने की कार्यवाही की जानी थी, लेकिन यह कार्यवाही नही हुई। आखिर क्या वजह है, जो तहसीलदार नगर ने समस्त विभागों को मंगलवार 05 मार्च को प्रातः 11 बजे कब्जा हटाने के लिए मौजूद रहने को पत्र लिखा था, बावजूद इसके ऐसा क्या हुआ कि कार्यवाही नहीं हुई है।
हासिल जानकारी के मुताबिक माधवनगर स्तिथ नगर निगम के उप कार्यालय से लगी नजूल भूमि पर पिछले कुछ दिनों से भू-माफिया टीन शेड से चारों तरफ़ से घेर कर अंदर ही अंदर कब्जा करने में जुटे हुए है। यह अवैध कब्जा हर किसी को दिखाई दे रहा था, सिवाय नगर निगम कार्यालय के अधिकारियों, कर्मचारियों के। इसे ही कहते है, दीया तले अंधेरा। इस पूरे मामले में जहां नगर निगम का रुख उदासीन रहा, तो वही माधव नगर के जनप्रतिनिधि भी अवैध कब्जे के प्रति मुँह मोड़ कर भूमाफिया को संरक्षण देने में जुटे हुए है।
अवैध कब्जे की शिकायत जब जिला प्रशासन से हुई तो जांच में पाया गया कि भूमि नजूल की है और उसमें अवैध कब्जा हो रहा है, जिसके पश्चात तहसीलदार नगर ने निर्माणकर्ता को नोटिस जारी कर 04 मार्च तक जमीन को कब्जा मुक्त कर उन्हें सूचित करने को कहा। ऐसा न करने पर मंगलवार 05 मार्च को निर्माण को तोड़कर तोड़ने की राशि उनसे वसूलने को कहा गया था।
तहसीलदार नगर ने निर्माणकर्ता को जो नोटिस दिया है उसकी प्रतिलिपि आयुक्त नगर निगम, पुलिस प्रशासन सहित अन्य संबंधित विभाग को भी निर्धारित तिथि पर 11 बजे उपस्थित रहने को कहा गया था।
सबसे खास बात यह है कि नोटिस में दी गई तारीख बीत गई, लेकिन कार्यवाही नहीं हुई। कार्यवाही क्यों नहीं हुई, क्या कारण है। क्या प्रशासन किसी के दबाव में है। इन सारी बातों का जबाव तो जिला प्रशासन के अधिकारी ही दे सकते है।
माधवनगर में चर्चित इस अवैध निर्माण पर कार्यवाही न होने से एक बार फिर चर्चाओं का बाजार गर्म है, की जिला प्रशासन के अधिकारी गरीब का कब्जा तो तत्काल हटा देते है, लेकिन किसी रसूखदार के विरुद्ध कार्यवाही करने पर उनके भी हाथ पैर फूलने लगते है।
एक दिन पहले ही ग्रामीण क्षेत्र में करोड़ो की जमीन कब्जा मुक्त करवा कर वाहवाही लूटने वाले जिला प्रशासन की कार्यवाही दूसरे ही दिन सन्देह के घेरे में आ गई।
प्रश्न यह उठता है कि इन अवैध कब्जों को कौन संरक्षण दे रहा है, जिसके कारण प्रशासन कार्यवाही करने से डरता है।
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